आरती विष्णु जी की | Aarti Bhagwan Shri Vishnu ji ki
जय विष्णु देवा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।
भक्तन के प्रतिपालक, दीनन दुख हरणा।। जय…
चार वेद गुण गावत, ध्यान पुराण धरें।
ब्रह्मादिक शिव शारद, स्तुति नित्य करें।। जय…
लक्ष्मीपति, कमलापति, गरूड़ासन स्वामी।
शेष शयन तुम करते, प्रभु अन्तरयामी।। जय…
माता-पिता तुम जग के, सुर मुनि करें सेवा।
धूप, दीप, तुलसीदल, धरें भोग मेवा।। जय…
रत्नमुकुट सिर सौहे, बैजन्ती माला।
पीताम्बर तन शोभित, नील वरण आला।। जय…
शंख-चक्र कर सौहे मुद मंगलकारी।
दास प्रभु की विनती सुन लो हितकारी।। जय…
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें