गुरुवार, 28 जुलाई 2016

काशि पन्चकम

काशि पन्चकम
मनोनिवृत्तिः परमोपशान्तिः
       सा तीर्थवर्या मणिकर्णिका च .
घ्य़ानप्रवाहा विमलादिगण्‍गा
       सा काशिकाहं निजबोधरूपा .. १..
यस्यामिदं कल्पितमिन्द्रजालं
       चराचरं भाति मनोविलासम.ह .
सच्चित्सुखैका परमात्मरूपा
       सा काशिकाहं निजबोधरूपा .. २..
कोशेश्हु पञ्चस्वधिराजमाना
       बुद्धिर्भवानी प्रतिदेहगेहम.ह .
साक्शी शिवः सर्वगतो.अन्तरात्मा
       सा काशिकाहं निजबोधरूपा .. ३..
काश्यां हि काश्यते काशी काशी सर्वप्रकाशिका .
सा काशी विदिता येन तेन प्राप्ता हि काशिका .. ४..
काशीक्शेत्रं शरीरं त्रिभुवन\-जननी व्यापिनी घ्य़ानगण्गा .
भक्तिः श्रद्धा गयेयं निजगुरु\-चरणध्यानयोगः प्रयागः .
विश्वेशो.अयं तुरीयः सकलजन\-मनःसाक्शिभूतो.अन्तरात्मा
देहे सर्वं मदीये यदि वसति पुनस्तीर्थमन्यत्किमस्ति .. ५..

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