शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन
श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणं
नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं

कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरम
पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं

भजु दीनबंधू दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं
रघुनंद आनंद कंद कोसल चन्द्र दशरथ नन्दनं

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदार अंग विभूशनम
आजानु भुजषर चाप धर संग्राम जित खर दूषणं

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं
मम ह्रदय कंज निवास कुरु कामादि खल दल गंजनं

मनु जाहि राचेउ मिलही सो वर सहज सुन्दर सांवरो
करुना निधान सुजान सीलु सनेहू जानत रावरो

एही भाँती गौरी असीस सुनि सिय सहित हिय हर्षित अलि
तुलसी भवानी पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चलि

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