सोमवार, 10 जुलाई 2017

॥ ॐ लिङ्गाश्टकम.ह ॥

॥ ॐ लिङ्गाश्टकम.ह ॥

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गम.ह निर्मलभासितशोभितलिङ्गम.ह । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम.ह ॥ १॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गम.ह कामदहम.ह करुणाकर लिङ्गम.ह । रावणदर्पविनाशनलिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम.ह ॥ २॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गम.ह बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम.ह । सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम.ह ॥ ३॥
कनकमहामणिभूश्हितलिङ्गम.ह फनिपतिवेश्ह्टित शोभित लिङ्गम.ह । दक्शसुयघ्य़ विनाशन लिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम.ह ॥ ४॥ कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गम.ह पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम.ह । सञ्चितपापविनाशनलिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम.ह ॥ ५॥
देवगणार्चित सेवितलिङ्गम.ह भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम.ह । दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम.ह ॥ ६॥ अश्ह्टदलोपरिवेश्ह्टितलिङ्गम.ह सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम.ह । अश्ह्टदरिद्रविनाशितलिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम.ह ॥ ७॥
सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गम.ह सुरवनपुश्ह्प सदार्चित लिङ्गम.ह । परात्परं परमात्मक लिङ्गम.ह तत.ह प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम.ह ॥ ८॥
लिङ्गाश्ह्टकमिदं पुण्यं यः पठेत शिवसन्निधौ । शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥ ॥ ॐ तत.ह सत.ह ॥

कोई टिप्पणी नहीं: